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2December

आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्‍था में कितना घी खाना चाहिए ?

भारतीय व्‍यंजनों में घी का खूब इस्‍तेमाल किया जाता है। गर्भावस्‍था में भी बड़े-बूढे महिलाओं को घी खाने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि घी खाने से डिलीवरी में आसानी होती है लेकिन क्‍या आप सच में इस बात से सहमत हैं कि प्रेग्‍नेंसी में घी खाने से फायदा होता है या फिर गर्भावस्‍था में घी खाने के नुकसान क्‍या हैं? यहां हम प्रेग्‍नेंसी में घी के सेवन के बारे में जानेंगे।

​प्रेगनेंसी में घी खाना चाहिए कि नहीं ?

जी हां, गर्भवती महिला उचित मात्रा में रोज घी का सेवन कर सकती है। अन्‍य डेयरी उत्‍पादों से अलग घी पचाने में आसान होता है और इससे मेटाबोलिज्‍म भी तेज होता है लेकिन अगर आप ओवरवेट हैं तो आपको घी का सेवन कम करना चाहिए। मक्‍खन या तेल के स्‍वस्‍थ विकल्‍प के रूप में आप घी खा सकती हैं।

​प्रेगनेंसी में कितना घी खाना चाहिए ?

गर्भावस्‍था के दौरान आप रोजाना दो से तीन चम्‍मच घी खा सकती हैं। डॉक्‍टरों के अनुसार 6 बड़े चम्‍मच फैट की जरूरत होती है जिसमें से 10 से 12 फीसदी सैचुरेटेड फैट घी से ही मिल जाता है।

​प्रेग्‍नेंसी में घी के फायदे : –

गर्भावस्‍था में घी खाने से मूड अच्‍छा रहता है और शिशु एवं मां के शरीर को जरूरी पोषण मिलता है। इससे गर्भवती महिला काे ऊर्जा और ताकत भी मिलती है। ​
पाचन में सुधार के लिए : – गर्भावस्‍था के दौरान अपच और एसिडिटी होना आम बात है। जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, वैसे-वैसे गर्भाशय का आकार बढ़ता जाता है। इससे आंतों पर दबाव पड़ता है और अम्‍लीय रस ऊपर की ओर आ जाता है। आहार में घी को शामिल कर पाचन प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता है। ये आंतों में एसिड के स्‍तर को भी कम करता है।

​शिशु का विकास : – घी भ्रूण और मस्तिष्‍क के विकास में मदद करता है। प्रेग्‍नेंसी के दूसरे और तीसरे चरण में महिलाओं को रोजाना 300 अतिरिक्‍त कैलोरी की जरूरत होती है। घी से इस अतिरिक्‍त कैलोरी की आवश्‍यकता को पूरा किया जा सकता है। इससे शिशु और मां दोनों को पोषण मिलता है।
​तनाव दूर करने का उपाय : – गर्भावस्‍था में तनाव होना आम बात है। हार्मोनल असंतुलन, शारीरिक बदलाव, मेटाबोलिज्‍म बदलने और प्रसव पीड़ा के बारे में सोचकर तनाव होने लगता है। रोज देसी घी खाने से नसों को आराम मिलता है और अच्‍छे हार्मोन रिलीज होते हैं। इससे तनाव में कमी आती है।

​गर्भावस्‍था में घी खाने के नुकसान : –

अगर आप अधिक मात्रा में घी का सेवन गर्भावस्‍था के दौरान करती हैं तो इसकी वजह से वजन बढ़ने और मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, गर्भावस्‍था के आखिरी चरण में शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी कम हो जाता है। ऐसे में ज्‍यादा घी खाना मोटापा दे सकता है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में दिक्‍कत आ सकती है। अगर आप पहले से ही ओवरवेट हैं तो प्रेग्‍नेंसी में घी लेने से पहले डॉक्‍टर से पूछ लें।
​प्रेगनेंसी में घी कब खाना चाहिए? : – जी हां, आप प्रेग्‍नेंसी के पूरे नौ महीनों में घी खा सकती हैं लेकिन अगर आपका वजन ज्‍यादा है तो आपको घी के सेवन को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए।

आयुर्वेद में घी का उपयोग : –

आयुर्वेद के अनुसार गर्म दूध में एक से दो बूंद केसर, तीन से चार बूंद शहद और एक चुटकी हल्‍दी के साथ एक चम्‍मच देसी घी डालकर पी सकते हैं। इससे इम्‍युनिटी बढ़ती है, शिशु के दिमाग का विकास तेज होता है और नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

Pregnancy is a transformative journey marked by numerous changes in a woman’s body. Nutrition plays a crucial role in supporting the health and development of both the mother and the baby. In recent years, A2 Gir Cow Ghee has gained popularity as a nutritious dietary choice, especially during pregnancy. In this blog post, we’ll explore the potential benefits of consuming A2 Gir Cow Ghee and its impact on the well-being of expectant mothers.

Is A2 ghee good for babies?

From brain development to digestive health, A2 cow ghee offers essential health benefits. All these benefits of A2 cow ghee make it a good choice for newborns and babies. A2 ghee is made from organic grass-fed A2 cows and is rich in beta-casein. A2 ghee is easy for new babies to digest.

Understanding A2 Gir Cow Ghee:

A2 Gir Cow Ghee is derived from the milk of the indigenous Gir breed of cows, known for producing milk with A2 beta-casein protein. This type of protein is considered more digestible and less likely to cause sensitivities compared to A1 beta-casein found in some other cow breeds.

Nutritional Composition:

Rich in Healthy Fats:
A2 Gir Cow Ghee is a source of saturated fats, essential for developing the baby’s brain and nervous system. It also contains omega-3 and omega-6 fatty acids that contribute to the overall well-being of both the mother and the fetus.

Abundant in Fat-Soluble Vitamins:
This ghee is a good source of fat-soluble vitamins like A, D, E, and K. These vitamins are crucial for bone health, immune system support, and the development of the baby’s organs.

Anti-Inflammatory Properties:
A2 Gir Cow Ghee contains anti-inflammatory compounds that may help alleviate inflammation, a common concern during pregnancy. Reduced inflammation can contribute to overall comfort and well-being.

Supports Digestion:
Ghee has been traditionally valued for its role in promoting digestion. The consumption of A2 Gir Cow Ghee may help alleviate digestive discomfort and support the absorption of essential nutrients.

Benefits of A2 Gir Cow Ghee During Pregnancy:

Enhanced Nutrient Absorption:
The healthy fats in A2 Gir Cow Ghee may aid in the absorption of fat-soluble vitamins, ensuring that both the mother and the baby receive optimal nutrition.

Brain and Nervous System Development:
The saturated fats in ghee play a crucial role in the development of the baby’s brain and nervous system, making it a valuable addition to a pregnant woman’s diet.

Joint and Bone Health:
The presence of fat-soluble vitamins, particularly vitamins D and K, contributes to the development of strong bones and joints in both the mother and the growing fetus.

Strengthened Immune System:
The immune-boosting properties of A2 Gir Cow Ghee can support the mother’s immune system, providing an added layer of protection during pregnancy.

Digestive Comfort:
The ghee’s digestive benefits may help alleviate common pregnancy-related digestive issues, such as bloating and indigestion.

Conclusion:

While A2 Gir Cow Ghee can offer nutritional benefits during pregnancy, it’s essential to maintain a balanced diet and consult with healthcare professionals. Incorporating this traditional ingredient into your diet, alongside a variety of nutrient-dense foods, can contribute to a healthy and nourishing pregnancy experience. Always prioritize your well-being and that of your baby, and make informed choices that align with your individual health needs.

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